Sunday, September 2, 2018

-----*श्री चैतन्य महाप्रभु जी की बाल लीला*-------

--------*श्री चैतन्य महाप्रभु जी की बाल लीला*-------

निमाई अभी बहुत छोटे है।एकदिन माता ने निमाई को उबटन लगाकर खूब नहलाया।तेल लगाकर छोटे छोटे घुंघराले बालों को कंघी से साफ किया।हाथ के कडूलों को मिट्टी से घिसकर चमकीला किया।कमर में करधनी पहनाई,उसे एक काले डोरे से बांध भी दिया।पैरों में छोटे छोटे कडुले पहनाए।कंठ में कठुला पहनाया।बड़ी बड़ी कमल सी आंखों में काजल लगाया।बायीं ओर मस्तक पर एक काला टिप्पा लगा दिया,जिससे बच्चे को नज़र न लग जाए।माता उस अपूर्व सौंदर्य माधुरी का पान करते करते अपने आप को भूल गई।इतने में विश्वरूप ने आकर कहा-"माँ!अभी भात नही बनाया?"।कुछ झूठी व्यग्रता और रोब दिखाते हुए माँ ने कहा-"तेरे इस छोटे भाई से मुझे फुरसत मिले तो भात बनाऊ।ऐसा नटखट है कि तनिक आंख बचते ही घरसे बाहर हो जाता है"।विश्वरूप ने कहा-"अच्छा ला, इसे मैं खेलाता हूं।तू तबतक जल्दीसे रन्धन कर"।यह कहकर विश्वरूप ने बालक निमाई को गोद मे ले लिया।माता तो दाल चावल बनाने में व्यस्त हो गई,और विश्वरूप धूप में बैठ गया।भला विश्वरूप जैसा विद्याव्यासंगी बालक खाली कैसे बैठता।वो निमाई के पास बैठ पुस्तक पढ़ने लगा।पुस्तक पढ़ते पढ़ते तन्मय हो गया।अब निमाई को किसका भय?धीरे से रेंग रेंगकर आप आंगन के दूसरी ओर एकांत में जा पहुंचे।वहां पर एक बड़भागी सर्पदेवता बैठे हुए थे।बस निमाई को एक नूतन खिलौना मिल गया।वे उनके साथ खेलने लगे।माता रन्धन कर रही थी पर मन निमाई की ओर था।थोड़ी देर तक जब भाइयों की कोई बातचीत न सुनी उन्होंने वहीं से पूछा-"विश्वरूप!निमाई सो गया क्या?"।चौंक कर पुस्तक से सिर उठाकर देखा तो निमाई कहीं नही।बोला-"अम्मा!निमाई निमाई यहां तो नही"।दाल भात वहीं छोड़ माता बाहर भागी।मां बेटे निमाई को ढूंढने लगे।आंगन के दूसरी ओर जो देखा उसे देखकर माता ने चीत्कार मारी।सभी स्त्री पुरुष आवाज़ सुन आ गए,सबके तो होश उड गए।सबने देखा निमाई का आधा शरीर धूल धूसरित,बालों में भी कुछ धूल लगी।सुवर्ण सा शरीर।सर्प गुडमूड़ी मारे बैठा और निमाई उसपर सवार।गौ खुर के निशान युक्त फन उठा रखा है।निमाई का एक हाथ फन के ऊपर।एक से ज़मीन छू रहे।एक पैर में वलय देकर सांप चुपचाप पड़ा है।सूर्य के प्रकाश में काला स्याह शरीर चमक रहा।निमाई हंस रहे हैं।हंसने से सामने के नए नए दाँत खूब चमक रहे हैं।किसी में हिम्मत नही बच्चे को सांप से छुड़ाए ।शची माता आगे बढ़ी।सांप जल्दीसे बिल में घुस गया।निमाई हंसते हंसते माता की ओर आए।मां ने बालक को छाती से चिपटा लिया उस अनंद का वर्णन भला कौन कर सकता है।

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