सन् 1898 में लाल समुद्र के किनारे एक मनुष्य का मृत शरीर मिला। यह शरीर किसका है इस बात का पता लगाने के लिए सन् 1981 में इसे फ्रांस लाया गया। फ्रांस के सबसे प्रसिद्ध और जाने-माने चिकित्सक डॉक्टर मोरिस ने इस पर रिसर्च करना शुरू किया। जिससे वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इसकी मौत हजारों साल पहले समुद्र में डूबने से हुई थी। डॉक्टर मोरिस को यह बात बड़ी ही आश्चर्यचकित कर रही थी कि इतने सालों तक समुद्र में रहने के बावजूद यह शरीर सड़-गल कर न
ष्ट क्यों नहीं हुआ।
फिर इन्हें अपने एक सहकर्मी से यह बात पता चली कि मुस्लिम लोग बिना शोध किए ही यह बात कह रहे हैं कि यह व्यक्ति समुद्र में डूबने के कारण मरा था और इसका नाम फिरौन है जिसने अल्लाह के नबी हजरत मूसा अलैहि सलाम और उनके साथियों को मारना चाहा था। पवित्र कुरान में फिरौन के समुद्र में डूब कर मरने और उसके मृत्य शरीर के सुरक्षित रहने की बात लिखी हुई है।
डॉ मोरिस को यह जानकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि इस शरीर के हजारों साल पुराने होने का पता तो उन्होंने अभी लगाया है। तो फिर यह बात कुरान शरीफ में 1400 साल पहले से ही कैसे लिखी हुई है। फिर वे सऊदी अरब गएं। वहां उन्होंने कुरान की आयतों को पढ़ा और समझा। आखिरकार उन्हें कुरान की सत्यता पर विश्वास हो गया और उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया।
ष्ट क्यों नहीं हुआ।
फिर इन्हें अपने एक सहकर्मी से यह बात पता चली कि मुस्लिम लोग बिना शोध किए ही यह बात कह रहे हैं कि यह व्यक्ति समुद्र में डूबने के कारण मरा था और इसका नाम फिरौन है जिसने अल्लाह के नबी हजरत मूसा अलैहि सलाम और उनके साथियों को मारना चाहा था। पवित्र कुरान में फिरौन के समुद्र में डूब कर मरने और उसके मृत्य शरीर के सुरक्षित रहने की बात लिखी हुई है।
डॉ मोरिस को यह जानकर बड़ा ही आश्चर्य हुआ कि इस शरीर के हजारों साल पुराने होने का पता तो उन्होंने अभी लगाया है। तो फिर यह बात कुरान शरीफ में 1400 साल पहले से ही कैसे लिखी हुई है। फिर वे सऊदी अरब गएं। वहां उन्होंने कुरान की आयतों को पढ़ा और समझा। आखिरकार उन्हें कुरान की सत्यता पर विश्वास हो गया और उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया।
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