Tuesday, July 31, 2018

ऊँ श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वास्तु अर्पित की जाती है जिसे शिवामुट्ठी कहते है।

ऊँ श्रावण  मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर कुछ विशेष वास्तु अर्पित की जाती है जिसे शिवामुट्ठी कहते है।

1. प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी,

2. दूसरे सोमवार को सफेद तिल् एक मुट्ठी,

3. तीसरे सोमवार को खड़े मूँग एक मुट्ठी,

4. चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी और

5. यदि जिस मॉस में पांच सोमवार हो तो पांचवें सोमवार को सतुआ चढ़ाने जाते हैं।

यदि पांच सोमवार  न हो तो आखरी सोमवार को दो मुट्ठी भोग अर्पित करते है।

माना जाता है कि श्रावण मास में शिव की पूजा करने से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं। महादेव शिव सर्व समर्थ हैं। वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय करके मुक्ति दिलाते हैं। इनकी पूजा से ग्रह बाधा भी दूर होती है।

1. *सूर्य* से संबंधित बाधा है, तो विधिवत या पंचोपचार के बाद लाल { बैगनी } आक के पुष्प एवं पत्तों से शिव की पूजा करनी चाहिए।

2. *चंद्रमा* से परेशान हैं, तो प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। साथ ही सोमवार का व्रत भी करें।

3. *मंगल* से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गिलोय की जड़ी-बूटी के रस से शिव का अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा।

4. *बुध* से संबंधित परेशानी दूर करने के लिए विधारा की जड़ी के रस से शिव का अभिषेक करना ठीक रहेगा।

5. *बृहस्पति* से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए प्रत्येक बृहस्पतिवार को हल्दी मिश्रित दूध शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।

6. *शुक्र* ग्रह को अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो पंचामृत एवं घृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।

7. *शनि* से संबंधित बाधाओं के निवारण के लिए गन्ने के रस एवं छाछ से शिवलिंग का अभिषेक करें।

8 . *राहु-केतु* से मुक्ति के लिए कुश और दूर्वा को जल में मिलाकर शिव का अभिषेक करने से लाभ होगा।

शास्त्रों में मनोरथ पूर्ति व संकट मुक्ति के लिए अलग-अलग तरह की धारा से शिव का अभिषेक करना शुभ बताया गया है।

अलग-अलग धाराओं से शिव अभिषेक का फल- जब किसी का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दु:ख और कष्ट मिल रहे हो तब शिव लिंग पर दूध की धारा चढ़ाना सबसे अच्छा उपाय है।

इसमें भी शिव मंत्रों का उच्चारण करते रहना चाहिए।

1. *वंश की वृद्धि के लिए* शिवलिंग पर शिव सहस्त्रनाम बोलकर घी की धारा अर्पित करें।

2. शिव पर जलधारा से अभिषेक *मन की शांति के लिए* श्रेष्ठ मानी गई है।

3. *भौतिक सुखों को पाने के लिए* इत्र की धारा से शिवलिंग का अभिषेक करें।

4. *बीमारियों से छुटकारे के लिए* शहद की धारा से शिव पूजा करें।

5. गन्ने के रस की धारा से अभिषेक करने पर हर *सुख और आनंद मिलता है*।

6. सभी धाराओं से श्रेष्ठ है गंगाजल की धारा। शिव को गंगाधर कहा जाता है। शिव को गंगा की धार बहुत प्रिय है। गंगा जल से शिव अभिषेक करने पर *चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।* इससे अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मन्त्र जरुर बोलना चाहिए।

*कार्य सिद्धि के लिए:--पूजन में रखे इन बातों का ध्यान:--*

 सावन के महीने में शिवलिंग की करें पूजा अर्चना | शिवलिंग जहां स्थापित हो पूरव् दिशा की ओर मुख करके ही बैठें।

शिवलिंग के दक्षिण दिशा में  बैठकर पूजन न  करें।

*दूध से अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक पीड़ा में शांति मिलती है।*

*घी से अभिषेक करने पर वंशवृद्धि होती है।*

*इत्र से अभिषेक करने पर भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।*

*शहद से अभिषेक करने पर परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता।*

*गन्ने के रस की धारा डालते हुये अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद खुशी का माहौल बना रहता है।*
*गंगा जल से अभिषेक करने पर चारो पुरूषार्थ की प्राप्ति होती है।*

*सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता।*

*बिल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है।*
*कमल पुष्प चढ़ाने से शान्ति व धन की प्राप्ति होती है।*

*कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है।*

*दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।*

*धतूरा अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति व पुत्र का सुख मिलता है।*

 *कनेर का पुष्प चढ़ाने से परिवार में कलह व रोग से निवृत्ति मिलती हैं।*

*शमी पत्र चढ़ाने से पापों का नाश होता, शत्रुओं का शमन व भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।*

हर हर महादेव,बोलो नीलकण्ठ महादेव की जय

         

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