Tuesday, July 31, 2018

_नई-नई शादी के बाद एक स्त्री का पति जब भोजन की थाल लेकर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया।_

_नई-नई शादी के बाद एक स्त्री का पति जब भोजन की थाल लेकर आया तो पूरा कमरा उस स्वादिष्ट भोजन की खुशबू से भर गया।_

    _उस स्त्री ने अपने पति से निवेदन किया कि मांजी को भी यही बुला लेते हैं और हम तीनों साथ बैठकर भोजन करते हैं। पति ने कहा छोड़ो उन्हें वो खाकर सो गई होंगी। आओ हम साथ मे भोजन करते हैं।_
    _उस स्त्री ने पुनः अपने पति से कहा कि नहीं मैंने उन्हें खाते हुए नहीं देखा है।_
      _तो पति ने जवाब दिया कि तुम क्यों जिद्द कर रही हो, शादी के कार्यों से थक गयी होंगी इसलिए सो गई होंगी, नींद टूटेगी तो माँ खुद भोजन कर लेगी। तुम आओ हम साथ में खाना खाते हैं।_

     _स्त्री ने स्थिति को समझते हुए तुरंत सम्बंध विच्छेद कर दूसरी शादी कर ली।_

    _भविष्य में उस स्त्री को दो बच्चे हुए जो बहुत ही सुशील औऱ आज्ञाकारी थे। जब वह स्त्री 60 वर्ष की हुई तो वह बेटों को बोली, मैं चारों धाम की यात्रा करना चाहती हूँ,  ताकि तुम्हारे सुखमय जीवन की प्रार्थना कर सकूं। बेटे तुरंत अपनी माँ को लेकर चारों धाम की यात्रा पर निकल गये। एक जगह तीनों माँ बेटे भोजन के लिए रुके औऱ भोजन परोस कर माँ से खाने की विनती करने लगे।_

    _उसी समय उस स्त्री की नजर सामने एक फटेहाल, भूखे औऱ गंदे से वृद्ध पुरुष पर पड़ी जो इस स्त्री के भोजन और बेटों की तरफ बहुत ही कातर नजरों से देख रहा था। उस स्त्री को उस पर दया आ गई औऱ वह  बेटों को बोली कि जाओ पहले उस वृद्ध को नहलाओ औऱ उसे वस्त्र दो फिर हम सब मिल कर भोजन करेंगें।_

    _बेटे जब उस वृद्ध को नहला कर कपड़े पहना कर उस स्त्री के सामने लाये तो वह स्त्री आश्चर्य चकित रह गई, वह वृद्ध वही था जिससे उसने सम्बंध विच्छेद कर लिया था।              उसने उससे पूछा कि क्या हो गया जो तुम्हारी हालत इतनी दयनीय हो गई, उस वृद्ध ने नजर झुका कर कहा कि सब कुछ होते भी मेरे बच्चे मुझे भोजन नही देते थे। मेरा तिरस्कार करते थे मुझे घर से बाहर निकल दिया।_

     _स्त्री ने वृद्ध से कहा कि इस बात का अंदाजा तो मुझे तभी लग गया था जब आपने पहले अपनी बूढ़ी माँ को भोजन कराने की बजाय उस स्वादिष्ट भोजन का थाल लेकर मेरे पास आ गए थे, औऱ मेरे बार-बार कहने के बावजूद भी आपने अपनी माँ का तिरस्कार किया उसीका फल आज आप भोग रहे हैं।_

     _जैसा व्यवहार हम अपने बुजुर्गों के साथ करेंगे उसीको देख कर हमारे बच्चों में भी यह अवगुण आता हैं वे सोचते हैं  कि शायद यही परम्परा है।_

_*अतः सदैव माँ-बाप की सेवा ही हमारा दायित्व बनता है। जिस घर में माँ-बाप हँसते हैं वहीं प्रभु बसते हैं।*_

_*🚩जय श्रीराधे🚩जय सियाराम🚩*_

No comments:

Post a Comment