चातुर्मास विशेष में-
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त्रिभुवनकमनं तमालवर्ण
रविकरगौरवराम्बरं दधाने ।
वपुरलककुलावृताननाब्जं
विजयसखे रतिरस्तु में$वृद्धा ।।
( श्रीमद्भागवत 1/9/33 )
भावार्थ:- जिनका दिव्य देह त्रिभुन सुन्दर एवं श्याम तमाल के समान श्याम वर्ण है,जिस पर सूर्य की रश्मियो के समान श्रेष्ठ पीताम्बर लहराता रहता है और कमल- सदृश श्रीमुख पर घुँघराली अलकावली लटकती रहती है; उन अर्जुन के सखा श्रीकृष्ण में मेरी निष्कपट रति-प्रीति हो।
!! राधे राधे !!
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त्रिभुवनकमनं तमालवर्ण
रविकरगौरवराम्बरं दधाने ।
वपुरलककुलावृताननाब्जं
विजयसखे रतिरस्तु में$वृद्धा ।।
( श्रीमद्भागवत 1/9/33 )
भावार्थ:- जिनका दिव्य देह त्रिभुन सुन्दर एवं श्याम तमाल के समान श्याम वर्ण है,जिस पर सूर्य की रश्मियो के समान श्रेष्ठ पीताम्बर लहराता रहता है और कमल- सदृश श्रीमुख पर घुँघराली अलकावली लटकती रहती है; उन अर्जुन के सखा श्रीकृष्ण में मेरी निष्कपट रति-प्रीति हो।
!! राधे राधे !!
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