मौर्य इतिहास के स्त्रोत
मौर्य इतिहास के बारे में दो प्रकार के स्त्रोत उपलब्ध हैं | एक साहित्यक है और दूसरा पुरातात्विक है | साहित्यक स्त्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखा दत्ता का मुद्रा राक्षस, मेगास्थेनेस की इंडिका, बौद्ध साहित्य और पुराण हैं | पुरातात्विक स्त्रोतों में अशोक के शिलालेख और अभिलेख और वस्तुओं के अवशेष जैसे चांदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के शामिल हैं |
1. साहित्यक स्त्रोत :
a) कौटिल्य -अर्थशास्त्र
यह पुस्तक कौटिल्य (चाणक्य का दूसरा नाम ) के द्वारा राजनीति और शासन के बारे में लिखी गई है | यह पुस्तक मौर्य काल के आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के बारे में बताती है | कौटिल्य, चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्य वंश के संस्थापक, का प्रधानमंत्री था |
b) मुद्रा राक्षस
यह पुस्तक गुप्ता काल में विशाखा दत्ता द्वारा लिखी गई| यह पुस्तक बताती है कि किस तरह चन्द्रगुप्त मौर्य ने सामाजिक आर्थिक स्थिति पर रोशनी डालने के अतिरिक्त, चाणक्य की मदद से नन्द वंश को पराजित किया था |
c) इंडिका
इंडिका, मेगास्थेनेस द्वारा रची गई जोकि चंद्र गुप्त मौर्य की सभा में सेलेकूस निकेटर का दूत था |यह मौर्य साम्राज्य के प्रशासन, 7 जाति प्रणाली और भारत में ग़ुलामी का ना होना दर्शाती है | यद्यपि इसकी मूल प्रति खो चुकी है, यह पारंपरिक यूनानी लेखकों जैसे प्लुटार्च, स्ट्राबो और अर्रियन के लेखों में उदहारणों के रूप में सहेजे हुए हैं |
d) बौद्ध साहित्य
बौद्ध साहित्य जैसे जातक मौर्य काल के सामाजिक- आर्थिक स्थिति के बारे में बताता है जबकि बौद्ध वृतांत महावमसा और दीपवांसा अशोक के बौद्ध धर्म को श्रीलंका तक फैलाने की भूमिका के बारे में बताते हैं | दिव्यवदं, तिब्बत बौद्ध लेख अशोक के बौद्ध धर्म का प्रचार करने के योगदान के बारे में जानकारी देते हैं |
e) पुराण
पुराण मौर्य राजाओं और घट्नाक्रमों की सूचि के बारे में बताते हैं |
पुरातात्विक स्त्रोत
अशोक के अभिलेख
अशोक के अभिलेख, भारत के विभिन्न उप महाद्वीपों में शिलालेख, स्तंभ लेख और गुफ़ा शिलालेख के रूप में पाये जाते हैं | इन अभिलेखों की व्याखाया जेम्स प्रिंकेप ने 1837 AD में किया था | ज्यादातर अभिलेखों में अशोक की जनता को घोषणाएँ हैं जबकि कुछ में अशोक के बौद्ध धर्म को अपनाने के बारे में बताया गया है |
वस्तु अवशेष
वस्तु अवशेष जैसे NBPW ( उत्तत काल के पोलिश के बर्तन) चाँदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के मौर्य काल पर रोशनी डालते हैं |
अशोक के अभिलेखों और उसकी जगह के बारे में एक छोटा विवरण नीचे दिया गया है :
अशोक के राजाज्ञा और शिलालेख | यह क्या दर्शाता है ? | इसका स्थान |
14 मुख्य शिलालेख | धम्मा के सूत्र | कलसी (देहरादून, उत्तराखंड, मनशेरा(हाज़रा, पाकिस्तान ), जूनागढ़ (गिरनार, गुजरात ), जौगड़ा(गंजम,उड़ीसा )येर्रागुड्डी ( कुरनूल, आंध्रा प्रदेश )शाहबज़्गढ़ी (पेशावर, पाकिस्तान) |
2 कलिंग शिलालेख | कलिंग युद्ध के बाद नया प्रशासन प्रणाली | दौली या तोसाली (पुरी, उड़ीसा ), जौगड़ा (गंजम , उड़ीसा) |
लघु शिलालेख | अशोक का निजी इतिहास और उसका धम्मा सारांश | ब्रह्मगिरि (कर्नाटक ), रूपानाथ (मध्य प्रदेश)सिद्धपुर (कर्नाटक )मस्की (आंध्रा प्रदेश ) |
भबरू –बैरात शिलालेख | अशोक का बौद्ध धर्म में तब्दील होना | भबरू –बैरात (राजस्थान) |
स्तंभ अभिलेख | ||
7 स्तंभ अभिलेख | शिलालेखों से जुड़ी वस्तुएँ | इलाहाबाद, रामपूर्व (बिहार) |
4 लघु स्तंभ अभिलेख | अशोक का धम्मा के प्रति कट्टरपन के चिन्ह | साँची (मध्य प्रदेश), सारनाथ, इलाहाबाद |
2 तराई स्तंभ अभिलेख | अशोक का बौद्ध धर्म के प्रति आदर | लुम्बिनी (नेपाल) |
गुफ़ा अभिलेख | ||
3 बराबर गुफ़ा अभिलेख | अशोका की सहनशीलता | बराबर पर्वत |
अशोक के 14 शिलालेख और उसके विषय वस्तु
राजाज्ञा 1 : पशु बाली पर प्रतिबंध
राजाज्ञा 2: समाजिक कल्याण के उपायों को दर्शाना
राजाज्ञा 3 : ब्राह्मण के लिए आदर
राजाज्ञा 4 : बड़ों का आदर करना
राजाज्ञा 5: धम्मा महामंत्रों को नियुक्त करना और उनके कार्य बताना
राजाज्ञा 6: धम्मा महामंत्रों को आदेश देना |
राजाज्ञा 7: सभी धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता
राजाज्ञा 8: धम्मा यात्राएं
राजाज्ञा 9 : व्यर्थ के समारोहों और रीतिरिवाजों को हटाना
राजाज्ञा 10: युद्ध के बजाए जीत के लिए धम्मा का प्रयोग करना
राजाज्ञा 11: धम्मा नितियों को समझाना
राजाज्ञा 12: सभी धार्मिक संप्रदायों से सहनशीलता के लिए प्रार्थना करना
राजाज्ञा 13: कलिंग युद्ध
राजाज्ञा 14: धार्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करना
राजाज्ञा 2: समाजिक कल्याण के उपायों को दर्शाना
राजाज्ञा 3 : ब्राह्मण के लिए आदर
राजाज्ञा 4 : बड़ों का आदर करना
राजाज्ञा 5: धम्मा महामंत्रों को नियुक्त करना और उनके कार्य बताना
राजाज्ञा 6: धम्मा महामंत्रों को आदेश देना |
राजाज्ञा 7: सभी धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता
राजाज्ञा 8: धम्मा यात्राएं
राजाज्ञा 9 : व्यर्थ के समारोहों और रीतिरिवाजों को हटाना
राजाज्ञा 10: युद्ध के बजाए जीत के लिए धम्मा का प्रयोग करना
राजाज्ञा 11: धम्मा नितियों को समझाना
राजाज्ञा 12: सभी धार्मिक संप्रदायों से सहनशीलता के लिए प्रार्थना करना
राजाज्ञा 13: कलिंग युद्ध
राजाज्ञा 14: धार्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करना
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