चातुर्मास विशेष में-
**********
!! त्याग से भगवत्प्राप्ति !!
***********
त्यक्त्वा कर्मफलासगं नित्यतृप्तो निराश्रय:।
कर्मण्यभिप्रवृत्तो$पि नैव किंचित्करोति स:।।
न हि देहभृता शक्यं त्यक्तं कर्माण्यशेषत:।
यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।
भावार्थ:- गृहस्थाश्रम में रहता हुआ भी मनुष्य त्याग के द्वारा परमात्मा को प्राप्त कल सकता है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए "त्याग" ही मुख्य साधन है। अतएव सात श्रेणी मे विभक्त करके त्याग के लक्षण संक्षेप मे लिखे जाते है।
1- निषिद्ध कर्मों का सर्वथा त्याग।
2- काम्य कर्मो का त्याग।
3- तृष्णा का सर्वथा त्याग।
4- स्वार्थ के लिये दूसरो से सेवा कराने का त्याग।
5- सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों में आलस्य और फल की
इच्छा का सर्वथा त्याग।
6- संसार के सम्पूर्ण पदार्थों में और कर्मो मे ममता
और आसक्ति का सर्वथा त्याग।
7- संसार शरीर और सम्पूर्ण कर्मो में सूक्ष्म वासना
और अहंभाव का सर्वथा त्याग।
यह सात श्रेणी के त्याग है।
radhey radhey
**********
!! त्याग से भगवत्प्राप्ति !!
***********
त्यक्त्वा कर्मफलासगं नित्यतृप्तो निराश्रय:।
कर्मण्यभिप्रवृत्तो$पि नैव किंचित्करोति स:।।
न हि देहभृता शक्यं त्यक्तं कर्माण्यशेषत:।
यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीत्यभिधीयते।।
भावार्थ:- गृहस्थाश्रम में रहता हुआ भी मनुष्य त्याग के द्वारा परमात्मा को प्राप्त कल सकता है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए "त्याग" ही मुख्य साधन है। अतएव सात श्रेणी मे विभक्त करके त्याग के लक्षण संक्षेप मे लिखे जाते है।
1- निषिद्ध कर्मों का सर्वथा त्याग।
2- काम्य कर्मो का त्याग।
3- तृष्णा का सर्वथा त्याग।
4- स्वार्थ के लिये दूसरो से सेवा कराने का त्याग।
5- सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों में आलस्य और फल की
इच्छा का सर्वथा त्याग।
6- संसार के सम्पूर्ण पदार्थों में और कर्मो मे ममता
और आसक्ति का सर्वथा त्याग।
7- संसार शरीर और सम्पूर्ण कर्मो में सूक्ष्म वासना
और अहंभाव का सर्वथा त्याग।
यह सात श्रेणी के त्याग है।
radhey radhey
No comments:
Post a Comment