जो व्यक्ति जिस-२ भाव को सिमरते हुए देह त्याग करता है वह उसी-२ भाव को प्राप्त हुआ करता है !
-श्री मद्भगवद्गीता जी !
साधकजनों महाराज श्री फरमाया करते कि जब हम फ़ोटो खिंचवाते है तो जिस क्षण फोटो लेने वाला Click करता है वह क्षण बहुत ही महत्वपूर्ण हुआ करता है क्योंकि उस समय जैसी हमारी सूरत हमारे हाव-भाव हुआ करते है फोटो भी वैसी ही आया करती है !
ठीक वैसे ही जब व्यक्ति अपनी देह त्याग करता है तो जहाँ उसकी सुरति टिकी हुआ करती है वही उसकी आत्मा की भविष्य में गति निश्चित हो जाया करती है यथा तिजोरी के धन दौलत के विचार मन मे है तो क्या पता परमात्मा अगले जन्म में न जाने उस तिजोरी में रहने वाली छिपकली वा मच्छर बना दे इसी तरह अंत समय मे जिसकी सुरति परमात्मा में टिकी हुआ करती है तो वह परमात्मा के परम धाम को प्राप्त किया करता है इसमें संदेह नही !
पर साधकजनो ऐसा होना अतिशय दुष्कर !
क्योकि संत-महात्मा फरमाते है कि देह त्याग के समय 4 करोड़ बिच्छू एक साथ डंक मारे इतना दर्द हुआ करता है ;ऐसे विषम समय मे परमात्मा की याद आना अतिशय दुष्कर !
पर जिसने आजीवन हृदय से नामाभ्यास किया होता है वही इस क्षण को जीत जाया करते है जिसने जीवन भर राम-राम जपा हुआ होता है अंत समय उसी के मुख से ही राम-राम निकला करता है !
अतः साधकजनों जो बीत गयी सो बीत गयी आगे परलोक की भी सुध लीजियेगा !
हृदय से राम-राम जपने का प्रयास कीजियेगा इसी में हमारा परम कल्याण है !
बहुत-२ मंगलकामनाये शुभकामनाये !
धन्यवाद
-श्री मद्भगवद्गीता जी !
साधकजनों महाराज श्री फरमाया करते कि जब हम फ़ोटो खिंचवाते है तो जिस क्षण फोटो लेने वाला Click करता है वह क्षण बहुत ही महत्वपूर्ण हुआ करता है क्योंकि उस समय जैसी हमारी सूरत हमारे हाव-भाव हुआ करते है फोटो भी वैसी ही आया करती है !
ठीक वैसे ही जब व्यक्ति अपनी देह त्याग करता है तो जहाँ उसकी सुरति टिकी हुआ करती है वही उसकी आत्मा की भविष्य में गति निश्चित हो जाया करती है यथा तिजोरी के धन दौलत के विचार मन मे है तो क्या पता परमात्मा अगले जन्म में न जाने उस तिजोरी में रहने वाली छिपकली वा मच्छर बना दे इसी तरह अंत समय मे जिसकी सुरति परमात्मा में टिकी हुआ करती है तो वह परमात्मा के परम धाम को प्राप्त किया करता है इसमें संदेह नही !
पर साधकजनो ऐसा होना अतिशय दुष्कर !
क्योकि संत-महात्मा फरमाते है कि देह त्याग के समय 4 करोड़ बिच्छू एक साथ डंक मारे इतना दर्द हुआ करता है ;ऐसे विषम समय मे परमात्मा की याद आना अतिशय दुष्कर !
पर जिसने आजीवन हृदय से नामाभ्यास किया होता है वही इस क्षण को जीत जाया करते है जिसने जीवन भर राम-राम जपा हुआ होता है अंत समय उसी के मुख से ही राम-राम निकला करता है !
अतः साधकजनों जो बीत गयी सो बीत गयी आगे परलोक की भी सुध लीजियेगा !
हृदय से राम-राम जपने का प्रयास कीजियेगा इसी में हमारा परम कल्याण है !
बहुत-२ मंगलकामनाये शुभकामनाये !
धन्यवाद
No comments:
Post a Comment