दो बातें अपने अंदर पैदा कर लो,
एक तो चुप रहना और एक माफ करना,
क्योंकि चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं
और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं
हर सत्संगी के अंदर ये दो गुण होने जरूरी है
एक तो चुप रहना और एक माफ करना,
क्योंकि चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं
और माफ कर देने से बड़ी कोई सजा नहीं
हर सत्संगी के अंदर ये दो गुण होने जरूरी है
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