Friday, July 27, 2018

* ए जन्नत अपनी औकात में रहना

* ए जन्नत अपनी औकात में रहना
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही *
* हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में
रहते है
वहां तेरी भी कोई औकात नही

*गोविंद…….*
*“तेरी चाहत में रुसवा यूं सरे बाज़ार हो गये,*

*हमने ही दिल खोया और हम ही गुनाहगार हो गये*

*—– – जय श्री राधे राधे,

वाह ! रे मेरे साँवरे..
तुँ और तेरा इश्क…
जो तुझे जान ले..
तुँ उसी की जान ले… राधे राधे

No comments:

Post a Comment