* ए जन्नत अपनी औकात में रहना
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही *
* हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में
रहते है
वहां तेरी भी कोई औकात नही
*गोविंद…….*
*“तेरी चाहत में रुसवा यूं सरे बाज़ार हो गये,*
*हमने ही दिल खोया और हम ही गुनाहगार हो गये*
*—– – जय श्री राधे राधे,
वाह ! रे मेरे साँवरे..
तुँ और तेरा इश्क…
जो तुझे जान ले..
तुँ उसी की जान ले… राधे राधे
हम तेरी जन्नत के मोहताज नही *
* हम श्री बांकेबिहारी के चरणों में
रहते है
वहां तेरी भी कोई औकात नही
*गोविंद…….*
*“तेरी चाहत में रुसवा यूं सरे बाज़ार हो गये,*
*हमने ही दिल खोया और हम ही गुनाहगार हो गये*
*—– – जय श्री राधे राधे,
वाह ! रे मेरे साँवरे..
तुँ और तेरा इश्क…
जो तुझे जान ले..
तुँ उसी की जान ले… राधे राधे
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