देखो माई, नई वरषा रितु आई ।
उमगि घटा चहुंं दिसि तें जुरि-जुरि बिजुरी चमक सुहाई ।।
दादुर-मोर-पपैया बोलत , कोकिल शब्द सुहाई ।
निसि-दिन रहत सदा प्रितम संग , निरखत नैन अघाई ।।
घन जमुना, घन पुलिन मनोहर, वायु बहत सुखदाई ।
सूरदास प्रभु की छबि ऊपर, नैनन नीर बहाई ।।
- श्री सूरदासजी
उमगि घटा चहुंं दिसि तें जुरि-जुरि बिजुरी चमक सुहाई ।।
दादुर-मोर-पपैया बोलत , कोकिल शब्द सुहाई ।
निसि-दिन रहत सदा प्रितम संग , निरखत नैन अघाई ।।
घन जमुना, घन पुलिन मनोहर, वायु बहत सुखदाई ।
सूरदास प्रभु की छबि ऊपर, नैनन नीर बहाई ।।
- श्री सूरदासजी
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