Monday, August 20, 2018

*'अहंकार' इतना सूक्ष्म होता है कि चुपके से कब हमारे जीवन में प्रवेश करता रहता है हमें कभी पता भी नहीं चलता। वास्तव में हम पता करना भी नहीं चाहते।

*'अहंकार' इतना सूक्ष्म होता है कि चुपके से कब हमारे जीवन में प्रवेश करता रहता है हमें कभी पता भी नहीं चलता। वास्तव में हम पता करना भी नहीं चाहते। अहंकार हो सकता है धन का, बल का, रूप का , पद का, ज्ञान का और स्वयं को प्राप्त किसी सुख का। आश्चर्य ये कि जिसे होता है उसे कभी पता नहीं चलता कि उसका कितना अनिष्ट हो रहा है।  केवल सत्संग से ये मिथ्या, अहंकार मिटता है। धीरे धीरे ये अहंकार पिघलता है - कम होता है। सत्संग द्वारा हमें अपनी अज्ञानता का ज्ञान होता है और तब पता चलता है कि कितना कुछ सीखना शेष है।*


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