राधे राधे - आज का भगवद चिन्तन॥
आज का आदमी तन से ही अस्वस्थ नहीं है अपितु मन से भी अस्वस्थ हो गया है। आज का आदमी विचारों से भी गरीब हो गया है। वह अब शुभ को सोच भी नहीं सकता, किसी के लिए अच्छे की कामना भी नहीं कर सकता।
सोचने में अदभुत सामर्थ्य है। आपकी सोच ही तो आपके व्यक्तित्व का निर्माण करती है। आप जो भी हैं वो आपकी सोच ने, आपकी विचार शक्ति ने ही आपको बनाया है। अच्छा करने के लिए आपको बाध्य तो नहीं किया जा सकता लेकिन अच्छा सोचने की सलाह जरूर दी जा सकती है। आपकी सोच अच्छी रहेगी तो फिर आपके कर्म स्वत: अच्छे रहेगें।
जिसके विचार सुन्दर हैं वही मनुष्य वास्तविक रूप से सुन्दर है। अगर आपके विचार सुन्दर हैं तो फिर आपका व्यवहार भी अवश्य सुन्दर होगा। अगर आप विचार ही अच्छे न रख पायें, दूसरों के लिए शुभ की कामना तक न कर सकें तो सच मानो दुनियाँ में आपसे बढ़कर कोई दरिद्र नहीं है।
आज का आदमी तन से ही अस्वस्थ नहीं है अपितु मन से भी अस्वस्थ हो गया है। आज का आदमी विचारों से भी गरीब हो गया है। वह अब शुभ को सोच भी नहीं सकता, किसी के लिए अच्छे की कामना भी नहीं कर सकता।
सोचने में अदभुत सामर्थ्य है। आपकी सोच ही तो आपके व्यक्तित्व का निर्माण करती है। आप जो भी हैं वो आपकी सोच ने, आपकी विचार शक्ति ने ही आपको बनाया है। अच्छा करने के लिए आपको बाध्य तो नहीं किया जा सकता लेकिन अच्छा सोचने की सलाह जरूर दी जा सकती है। आपकी सोच अच्छी रहेगी तो फिर आपके कर्म स्वत: अच्छे रहेगें।
जिसके विचार सुन्दर हैं वही मनुष्य वास्तविक रूप से सुन्दर है। अगर आपके विचार सुन्दर हैं तो फिर आपका व्यवहार भी अवश्य सुन्दर होगा। अगर आप विचार ही अच्छे न रख पायें, दूसरों के लिए शुभ की कामना तक न कर सकें तो सच मानो दुनियाँ में आपसे बढ़कर कोई दरिद्र नहीं है।
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