Tuesday, August 21, 2018

*कितने कमज़ोर हैं ये गुब्बारे🎈🎈* *चन्द साँसों से फूल जाते हैं.....🎈🎈* *और जरा सी बुलन्दी पाकर* *अपनी हैसियत भूल जाते हैं.....*🙇

*कितने कमज़ोर हैं ये गुब्बारे🎈🎈*
*चन्द साँसों से फूल जाते हैं.....🎈🎈*
*और जरा सी बुलन्दी पाकर*
*अपनी हैसियत भूल जाते हैं.....*🙇

*हम भी इन्ही गुबारो के जैसे हैं,हम मिटटी के पुतले हैं और हमे भी चंद साँसे मिलती हैं, जीवन में और उन चंद सांसो में हम अपनी हैसियत भूल जाते हैं कि हमे एक दिन फिर इसी*

 *मिटटी में मिटटी होना हैं...*

*ना कर बन्दया मेरी मेरी,*
 *बन जाना हैं एक दिन मिटटी दी ढेरी👏🏻*

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