#यक्ष_द्वारा_महाराज_युधिष्ठिर_की_परीक्षा
जब महाराज युधिष्ठिर और उनके भाई वनवास काट रहे थे, तब एक बार कुछ ऐसा हुआ कि वन में भटकते हुए पांडवों को प्यास लगी। प्यास से व्याकुल हो युधिष्ठिर ने अपने भ्राता नकुल को पानी लेने भेजे। नकुल पानी की खोज करते-करते एक सरोवर के पास पहॅुचे, और पानी पीने लगे। तभी सरोवर से एक यक्ष प्रकट हुए और वे नकुल से कहने लगे, यदि तुम्हें पानी पीना हो तो मेरे प्रश्नों का उत्तर दो तभी पानी पी सकते हो, लेकिन नकुल उस यक्ष की बात नहीं माने और पानी पी लिये, पानी पीते ही नकुल की मृत्यु हो गई। बहुत समय बीत जाने पर जब नकुल नहीं आये तब सहदेव, अर्जुन और भीम खोज करने निकले सभी प्यास से व्याकुल हो एक - एक कर उसी सरोवर पर पहुचे और सभी ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। जिसके कारण सभी की मृत्यु हो गई। पांडवों के नहीं लौटने से महाराज युधिष्ठिर अंत में उन्हें खोजते हुए उसी सरोवर के पास आये और सरोवर देख जब पानी पीने लगे, तब यक्ष ने महाराज युधिष्ठिर से कहाॅ आप पहले मेरे प्रश्न का उत्तर दो उसके पश्चात ही पानी पी सकते हो। महाराज युधिष्ठिर यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देने तैयार हो गए। तब यक्ष ने प्रश्न पूछा:-
प्रश्न - पृथ्वी से भारी कौन है?
उत्तर - माता
प्रश्न - आकाश से ऊँचा कौन है?
उत्तर - पिता।
प्रश्न - पवन से तीव्र गति किसकी है?
उत्तर- मन की।
प्रश्न - संख्या में तिनकों से अधिक क्या है?
उत्तर - चिंता।
प्रश्न - आलस्य क्या है?
उत्तर - धर्म ना करना ही आलस्य है।
प्रश्न - मृत्यु के समीप हुए व्यक्ति का मित्र कौन है?
उत्तर - दान।
प्रश्न - काजल से भी काला क्या है?
उत्तर - कलंक
प्रश्न - किसको वश में करने से शोक नहीं होता है?
उत्तर - मन को वश में रखने पर शोक की अनुभूति नहीं होती।
प्रश्न - लोक में श्रेष्ठ धर्म क्या है?
उत्तर - दया ही श्रेष्ठ धर्म है।
प्रश्न - लज्जा क्या है?
उत्तर- ना करने योग्य कार्य को करना लज्जा है।
प्रश्न - दया क्या है?
उत्तर - सबके सुख की इच्छा करना दया है।
प्रश्न - मनुष्य की आत्मा क्या है?
उत्तर - पुत्र
प्रश्न - जगत को किस वस्तु ने ढक रखा है?
उत्तर - अज्ञानता
प्रश्न - सच्चा स्नान क्या है?
उत्तर - मन के मैल धोना।
प्रश्न - राष्ट्र की मृत्यु का कारण क्या है?
उत्तर - अराजकता
प्रश्न - धर्म का भेद कहा है?
उत्तर - मनुष्य के हृदय में
प्रश्न - धर्म, यश, स्वर्ग और सुख का प्रमुख स्थान क्या है?
उत्तर - धर्म का दक्षता, यश का दान, स्वर्ग का सत्य और सुख का शील ही प्रमुख स्थान है।
प्रश्न - सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
उत्तर - प्रत्येक मनुष्य जानता है, मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है लेकिन इसे स्वीकार नहीं करना चाहता।
इस तरह महाराज युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रसन्नों का उत्तर दिया तो यक्ष महाराज युधिष्ठिर से अत्यधिक प्रसन्न हुए और कहने लगे आप अपने सभी भाईयों में से किसी एक भाई को बताईये मैं उसे जीवित कर सकता हूॅ। तब महाराज युधिष्ठिर बोले आप सहदेव को जीवित कर दीजिये। तब यक्ष ने पूछा आपने भीम या अर्जुन को क्यों नहीं मांगा, महाराज युधिष्ठिर ने कहाॅ मैं माता कुन्ती के एक पुत्र के रूप में जीवित हूॅ। अब माता माधवी के पुत्रों में से भी कोई एक को जीवित रहना चाहिए। महाराज युधिष्ठिर की बात से प्रसन्न होकर यक्ष ने सभी पांडवों को जीवित कर दिया, और कहाॅ मैं धर्मराज हूॅ। मैं आपकी परीक्षा लेने यहाॅ आया था, आप महान है।
जब महाराज युधिष्ठिर और उनके भाई वनवास काट रहे थे, तब एक बार कुछ ऐसा हुआ कि वन में भटकते हुए पांडवों को प्यास लगी। प्यास से व्याकुल हो युधिष्ठिर ने अपने भ्राता नकुल को पानी लेने भेजे। नकुल पानी की खोज करते-करते एक सरोवर के पास पहॅुचे, और पानी पीने लगे। तभी सरोवर से एक यक्ष प्रकट हुए और वे नकुल से कहने लगे, यदि तुम्हें पानी पीना हो तो मेरे प्रश्नों का उत्तर दो तभी पानी पी सकते हो, लेकिन नकुल उस यक्ष की बात नहीं माने और पानी पी लिये, पानी पीते ही नकुल की मृत्यु हो गई। बहुत समय बीत जाने पर जब नकुल नहीं आये तब सहदेव, अर्जुन और भीम खोज करने निकले सभी प्यास से व्याकुल हो एक - एक कर उसी सरोवर पर पहुचे और सभी ने यक्ष के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। जिसके कारण सभी की मृत्यु हो गई। पांडवों के नहीं लौटने से महाराज युधिष्ठिर अंत में उन्हें खोजते हुए उसी सरोवर के पास आये और सरोवर देख जब पानी पीने लगे, तब यक्ष ने महाराज युधिष्ठिर से कहाॅ आप पहले मेरे प्रश्न का उत्तर दो उसके पश्चात ही पानी पी सकते हो। महाराज युधिष्ठिर यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देने तैयार हो गए। तब यक्ष ने प्रश्न पूछा:-
प्रश्न - पृथ्वी से भारी कौन है?
उत्तर - माता
प्रश्न - आकाश से ऊँचा कौन है?
उत्तर - पिता।
प्रश्न - पवन से तीव्र गति किसकी है?
उत्तर- मन की।
प्रश्न - संख्या में तिनकों से अधिक क्या है?
उत्तर - चिंता।
प्रश्न - आलस्य क्या है?
उत्तर - धर्म ना करना ही आलस्य है।
प्रश्न - मृत्यु के समीप हुए व्यक्ति का मित्र कौन है?
उत्तर - दान।
प्रश्न - काजल से भी काला क्या है?
उत्तर - कलंक
प्रश्न - किसको वश में करने से शोक नहीं होता है?
उत्तर - मन को वश में रखने पर शोक की अनुभूति नहीं होती।
प्रश्न - लोक में श्रेष्ठ धर्म क्या है?
उत्तर - दया ही श्रेष्ठ धर्म है।
प्रश्न - लज्जा क्या है?
उत्तर- ना करने योग्य कार्य को करना लज्जा है।
प्रश्न - दया क्या है?
उत्तर - सबके सुख की इच्छा करना दया है।
प्रश्न - मनुष्य की आत्मा क्या है?
उत्तर - पुत्र
प्रश्न - जगत को किस वस्तु ने ढक रखा है?
उत्तर - अज्ञानता
प्रश्न - सच्चा स्नान क्या है?
उत्तर - मन के मैल धोना।
प्रश्न - राष्ट्र की मृत्यु का कारण क्या है?
उत्तर - अराजकता
प्रश्न - धर्म का भेद कहा है?
उत्तर - मनुष्य के हृदय में
प्रश्न - धर्म, यश, स्वर्ग और सुख का प्रमुख स्थान क्या है?
उत्तर - धर्म का दक्षता, यश का दान, स्वर्ग का सत्य और सुख का शील ही प्रमुख स्थान है।
प्रश्न - सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है?
उत्तर - प्रत्येक मनुष्य जानता है, मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य है लेकिन इसे स्वीकार नहीं करना चाहता।
इस तरह महाराज युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रसन्नों का उत्तर दिया तो यक्ष महाराज युधिष्ठिर से अत्यधिक प्रसन्न हुए और कहने लगे आप अपने सभी भाईयों में से किसी एक भाई को बताईये मैं उसे जीवित कर सकता हूॅ। तब महाराज युधिष्ठिर बोले आप सहदेव को जीवित कर दीजिये। तब यक्ष ने पूछा आपने भीम या अर्जुन को क्यों नहीं मांगा, महाराज युधिष्ठिर ने कहाॅ मैं माता कुन्ती के एक पुत्र के रूप में जीवित हूॅ। अब माता माधवी के पुत्रों में से भी कोई एक को जीवित रहना चाहिए। महाराज युधिष्ठिर की बात से प्रसन्न होकर यक्ष ने सभी पांडवों को जीवित कर दिया, और कहाॅ मैं धर्मराज हूॅ। मैं आपकी परीक्षा लेने यहाॅ आया था, आप महान है।
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