Saturday, August 18, 2018

जागरण ही ध्यान है, निरंतर अपने जीवन के प्रति सारे तथ्यों के प्रति जागे हुए होना!

*जागरण ही ध्यान है, निरंतर अपने जीवन के प्रति सारे तथ्यों के प्रति जागे हुए होना! वही दीप है, वही ज्योति है, उसको जगा लें और फिर देखें, आप पाएगे! अंधेरा क्रमशः विलीन होता चला जा रहा है। एक दिन आप पाएंगे, अंधेरा है ही नहीं। एक दिन आप पाएंगे, आपके सारे प्राण प्रकाश से भर गए। और एक ऐसे प्रकाश से, जो अलौकिक है। एक ऐसे प्रकाश से, जो परमात्मा का है। एक ऐसे प्रकाश से, जो इस लोक का नहीं, इस समय का नहीं, इस काल का नहीं, जो कहीं दूरगामी, किसी बहुत केंद्रीय तत्व से आता है। और उसके ही आलोक में जीवन नृत्य से भर जाता है, संगीत से भर जाता है, वही शांति है, वही सत्य है !!*

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