*पेड़ के नीचे रखी भगवान की टूटी मूर्ति को देख कर समझ आया*
*कि*
*परिस्थिति चाहे कैसी भी हो*
*पर कभी ख़ुद को टूटने नही देना..*
*वर्ना ये दुनिया जब टूटने पर भगवान को घर से निकाल सकती है तो फिर हमारी तो औकात ही क्या है*
*जिंदगी को खुला छोड़ दो जीने के लिए,क्योंकि बहुत सम्भाल के रखी हुई चीज वक़्त पर नहीं मिलती...”॥*
*कि*
*परिस्थिति चाहे कैसी भी हो*
*पर कभी ख़ुद को टूटने नही देना..*
*वर्ना ये दुनिया जब टूटने पर भगवान को घर से निकाल सकती है तो फिर हमारी तो औकात ही क्या है*
*जिंदगी को खुला छोड़ दो जीने के लिए,क्योंकि बहुत सम्भाल के रखी हुई चीज वक़्त पर नहीं मिलती...”॥*
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