*नामसङ्कीर्तनं यस्य*
*सर्वपापप्रणाशनम्।*
*प्रणामो दुःखशमन-*
*स्तं नमामि हरिं परम्॥*
"जिन भगवान का नाम- संकीर्तनं सभी पापों का नाश करने वाला है और प्रणाम दुःख नाशक है, उन परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ ।"
अर्थात जिस भगवान के नाम का संकीर्तन सम्पूर्ण पापों को सर्वथा नष्ट कर देता है और जिन भगवान के चरणों में आत्मसमर्पण, उनके चरणों में प्रणाम सर्वदा के लिये सब प्रकार के दुःखों को शान्त कर देता है, उन्हीं परमतत्त्वस्वरूप श्रीहरि को मैं नमस्कार करता हूँ।
*संकीर्तनध्वनिं श्रुत्वा ये च नृत्यन्तिमानवाः।*
*तेषां पादरजस्पर्शान्सद्यः पूता वसुन्धरा।।*
*–बृहन्नारदीय पुराण*
'जो भगवन्नाम की ध्वनि को सुनकर प्रेम में तन्मय होकर नृत्य करते हैं, उनकी चरणरज से पृथ्वी शीघ्र ही पवित्र हो जाती है।'
*सर्वपापप्रणाशनम्।*
*प्रणामो दुःखशमन-*
*स्तं नमामि हरिं परम्॥*
"जिन भगवान का नाम- संकीर्तनं सभी पापों का नाश करने वाला है और प्रणाम दुःख नाशक है, उन परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ ।"
अर्थात जिस भगवान के नाम का संकीर्तन सम्पूर्ण पापों को सर्वथा नष्ट कर देता है और जिन भगवान के चरणों में आत्मसमर्पण, उनके चरणों में प्रणाम सर्वदा के लिये सब प्रकार के दुःखों को शान्त कर देता है, उन्हीं परमतत्त्वस्वरूप श्रीहरि को मैं नमस्कार करता हूँ।
*संकीर्तनध्वनिं श्रुत्वा ये च नृत्यन्तिमानवाः।*
*तेषां पादरजस्पर्शान्सद्यः पूता वसुन्धरा।।*
*–बृहन्नारदीय पुराण*
'जो भगवन्नाम की ध्वनि को सुनकर प्रेम में तन्मय होकर नृत्य करते हैं, उनकी चरणरज से पृथ्वी शीघ्र ही पवित्र हो जाती है।'
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