*यदि आपके पास अहंकार भाव है तो समझ लेना फिर आपको किसी और शत्रु की जरुरत ही नही क्योंकि अहंकार वो सब काम कर देगा शायद जो काम कोई महाशत्रु भी न कर सके। अहंकार बड़ा ही शक्तिशाली होता है।*
*वो अहंकार ही तो था जिसके बल पर रावण ने साक्षात त्रिभुवनपति श्रीराम जी को ही चुनौती दे डाली, जिसके बल पर कंस ने जगत पालक को ही बालक मान कर उसे मारने के प्रयत्न शुरू कर दिए।*
*जिसके बल पर दुर्योधन ने एक सती नारी के चीर पर ही भरी सभा में हाथ डालने का आदेश दे दिया। अहंकार आग की वो धधकती लपटें हैं, जो गर्म तो नहीं मगर जलाकर राख अवश्य कर देती हैं।*
*अतः* *अहंकार में नहीं अपितु प्यार और उपकार में जीने का प्रयास करो।*
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