वृक्षा रोपण जरूर
छायामन्यस्य कुर्वन्ति स्वयं तिष्ठन्ति चातपे।
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुष इव॥
भावार्थ - वृक्ष स्वयं सूर्य के प्रखर ताप को सहन करके दूसरों को छाया प्रदान करते हैं तथा उनके फल भी दूसरों के उपयोग के लिए होते हैं, वृक्ष के समान सत्पुरुष भला कौन है ?
वृक्षारोपण करना शास्त्रोक्त दृष्टि से महापुण्य तथा व्यवहारिक दृष्टि से महान् लोकोपकार का कार्य है
राधे राधे 🙏
!! शुभ संध्या वदंन !!
✍☘💕
छायामन्यस्य कुर्वन्ति स्वयं तिष्ठन्ति चातपे।
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुष इव॥
भावार्थ - वृक्ष स्वयं सूर्य के प्रखर ताप को सहन करके दूसरों को छाया प्रदान करते हैं तथा उनके फल भी दूसरों के उपयोग के लिए होते हैं, वृक्ष के समान सत्पुरुष भला कौन है ?
वृक्षारोपण करना शास्त्रोक्त दृष्टि से महापुण्य तथा व्यवहारिक दृष्टि से महान् लोकोपकार का कार्य है
राधे राधे 🙏
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