चोल साम्राज्य (9वीं सदी A D से 12वीं सदी A D तक) :
विजयालय चोल
विजयालय चोल प्रथम मध्यकालीन चोल शासक था जिसे चोल राज्य के पुनः स्थापना का श्रेय जाता है | उसकी अपनी राजधानी थंजौर में थी | विजयालय पललवा का सामंत था | इसने पादुकोट्टई मे सोलेस्वरा मंदिर का निर्माण कराया था |
आदित्य चोल 1
विजयालय की मृत्यु के बाद उसके पुत्र आदित्य चोल ने पदभार संभाला | शिव का बड़ा भक्त होने के कारण आदित्य ने कावेरी नदी के किनारों पर कई शिव मंदिरों का निर्माण कराया था |
परांतका चोल 1
इसने पाण्ड्य राजा को हराया और मदुरकोण्डा का खिताब को धारण किया |
राजराजा चोल 1
कुछ कम प्रसिद्ध राजाओं के बाद राजराजा चोल 1 ने राजगद्दी संभाली | इसका नाम जन्म के समय अरुल्मोज़्हि वर्मन था | इसे अरुन्मोज़्हि उदयर पेरिया उदयर के नाम से भी जाना जाता है | इसके समय चोल राज्य ने पूरा तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा के भाग और आंध्र प्रदेश, पूर्ण केरल और श्रीलंका को जीत लिया था | राजराजा चोल 1 ने थंजौर में राजराजेश्वरम मंदिर का निर्माण कराया जो अब यूनेस्को की विश्व धरोहर है | यह मंदिर पेरुवुडाइयर कोविल या बृहदीस्वरर मंदिर के नाम से जाना जाता है |
राजेंद्र चोल -1
राजराजा चोल 1 के बाद 1014 A D में इसका बेटा राजेंद्र चोल 1 उत्तराधिकारी बना जिसने 1014 A D तक शासन किया | वह राजराजा चोल1 से भी ज्यादा महत्वाकांशी था | इसके द्वारा किए गए मुख्य आक्रमण और विजय निम्न हैं :
- राजेंद्र चोल 1 ने पूर्ण श्रीलंका को जीत लिया और उसके राजा को 12 साल तक बंदी बनाए रखा |
- पश्चिमी चालुक्य के सम्राट को मसकी के युद्ध में हराने के बाद पूर्वी चालुक्य को भी जबरदस्ती आत्मसमर्पण के लिए विवश कर दिया |
- राजेंद्र चोल 1 की सेनाओं ने कलिंग, पाल और गंगाओं पर विजय प्राप्त की और इस कारण इसे गंगाईकोंडा की उपाधि मिली |
- उल्लेखनीय ढंग से राजेंद्र 1 की जल सेना ने मालया और सुमात्रा राज्यों को पराजित किया तथा केदाह पर कब्जा कर लिया |
- राजेंद्र चोल 1 ने चोल साम्राज्य की नई राजधानी गंगाईकोण्डा चोलपुरम, कलिंग, पाल और गंगाओं के ऊपर विजय दर्शाने के लिए बनाई |
राजाधिराज चोल
राजेंद्र चोल-1 के बाद राजाधिराज ने राजगद्दी संभाली | वह मैसूर के निकट कोप्पम के युद्ध में मारा गया |
राजेंद्र चोल-II
कविता और नृत्य का महान संरक्षक, इसने अपना समर्थन संगीत नृत्य नाटिका राजराजेस्वर नाटकम को दिया
विराराजेन्द्र चोल
एक प्रभावकारी शासक जिसका शासन 1063-1070 A D तक था | वह राजेन्द्र चोल का छोटा भाई था | वह एक महान योद्धा के साथ साथ कला का महान प्रशंसक था |
इसके बाद अथिराजेन्द्र चोल के द्वारा पदभार संभाला गया जो अपने राज्य की रक्षा करने में ज्यादा शक्तिशाली नहीं था | उसके शासन में राष्ट्र विद्रोह हुआ जिसमे वह मारा गया | इसकी मृत्यु के बाद मध्यकालीन चोल राजवंश समाप्त हो गया |
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