Saturday, August 18, 2018

“जब चारों अँधेरा हो” तुम”कष्ण”का दीप जला लेना! “जब गमों ने तुमको घेरा हो, तुम हाल”कृष्ण”को सुना देना! “जब दुनिया तुमसे मुंह मोड़, तुम अपने”कृष्ण”को मना लेना! “जब अपने तुमको ठुकरा दे, तुम”कृष्ण”के दर को अपना लेना! “जब कोई तुमको रूलाये, तुम”कृष्ण”के गीत गुनगुना लेना! “कृष्ण”करूणा का सागर है, तुम उसमें डुबकी लगा लेना…!



“जब चारों अँधेरा हो”
तुम”कष्ण”का दीप जला लेना!
“जब गमों ने तुमको घेरा हो,
तुम हाल”कृष्ण”को सुना देना!
“जब दुनिया तुमसे मुंह मोड़,
तुम अपने”कृष्ण”को मना लेना!
“जब अपने तुमको ठुकरा दे,
तुम”कृष्ण”के दर को अपना लेना!
“जब कोई तुमको रूलाये,
तुम”कृष्ण”के गीत गुनगुना लेना!
“कृष्ण”करूणा का सागर है,
तुम उसमें डुबकी लगा लेना…!

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