दोस्तों "श्री कृष्ण भगवान "कहते है कि प्रत्येक मनुष्य सफलता प्राप्त करने के लिये कार्य करता है कूछ मनुष्य सफल हो जाते है कूछ सफल नही हो पाते और जो सफल नही हो पाते वो अपनी असफलता का कारण या तो अपनी परिस्थियों को बताते है या अपने सहयोगियों को दोषी ठहराते है परंतु दोस्तों क्या वस्तविकता मॆं ऐसा होता है क्या ??या कोई परिस्थति या कोई व्यक्ति किसी की असफलता का कारण बन सकते है भगवान कृष्ण बोलते है इसका कारण हाँ भी है और ना भी है कैसे ???ये जाने कैसे ?? आप इक तितली को भी देखते हो और इक मक्खी को भी देखा है ; प्राकति ने दोनो को इक समान गुण दिये है रसपान करने का --
ईक तितली फ़ूलॊ पर जाकर उसका रस लेती है और इस अवस्था मॆं नये फूल खिलने की व्यवस्था भी तितली करती है और इक मख्खी गंदगी पर बैठती है और ज्यादा गंदगी फैलाती है इसके अलावा वो घाव पर बैठती है और घाव को सड़ाती है और रोग अलग फैलाती है !!
यही पे दोस्तों इसी बात को समझना है की मख्खी और तितली दोनो को इक ही जैसा भगवान ने गुण दिया रसपान का इक रोग फैलाती है और इक फ़ूलॊ पर जाकर रस भी लेती है और नये फ़ूलॊ के खिलने की भी व्यवस्था कर आती है ""दोस्तों इसलिये सभी तितली सॆ स्नेह करते है प्रेम करते है लेकिन मख्खी को गंदगी समझते है kunki वो गंद फैलाती है बिमारी फैलाती है !!दोनो का मार्ग इक ही है भगवान ने दोनो को इक समान ही गुण दिये लेकिन दोनो ने अलग मार्ग चुना इक ने गंदगी का इक ने सुगंध का ;
इसी प्रकार भगवान ने सभी मनुष्य को इक समान गुण दिये है यदि आप उचित मार्ग चुनेगी तो सफलता अर्जित होगी और साथ साथ उत्साह भी बड़ेगा और अगर अनुचित मार्ग चुनेगी तो असफलता तो मिलेगी और अलग सॆ आप हताशा और निराशा चिंता अलग मिलेगी !
अब दोस्तों उचित या अनुचित मार्ग चुनेगी तो ये निर्णय भी तो आप पर निर्भर करता है की
बस समझना है तो इक सोच को की इक तितली की भाँति या इक मख्खी की भाँति बनेगी !!निर्णय आप पर होगा !!
जय राधे कृष्ण --
ईक तितली फ़ूलॊ पर जाकर उसका रस लेती है और इस अवस्था मॆं नये फूल खिलने की व्यवस्था भी तितली करती है और इक मख्खी गंदगी पर बैठती है और ज्यादा गंदगी फैलाती है इसके अलावा वो घाव पर बैठती है और घाव को सड़ाती है और रोग अलग फैलाती है !!
यही पे दोस्तों इसी बात को समझना है की मख्खी और तितली दोनो को इक ही जैसा भगवान ने गुण दिया रसपान का इक रोग फैलाती है और इक फ़ूलॊ पर जाकर रस भी लेती है और नये फ़ूलॊ के खिलने की भी व्यवस्था कर आती है ""दोस्तों इसलिये सभी तितली सॆ स्नेह करते है प्रेम करते है लेकिन मख्खी को गंदगी समझते है kunki वो गंद फैलाती है बिमारी फैलाती है !!दोनो का मार्ग इक ही है भगवान ने दोनो को इक समान ही गुण दिये लेकिन दोनो ने अलग मार्ग चुना इक ने गंदगी का इक ने सुगंध का ;
इसी प्रकार भगवान ने सभी मनुष्य को इक समान गुण दिये है यदि आप उचित मार्ग चुनेगी तो सफलता अर्जित होगी और साथ साथ उत्साह भी बड़ेगा और अगर अनुचित मार्ग चुनेगी तो असफलता तो मिलेगी और अलग सॆ आप हताशा और निराशा चिंता अलग मिलेगी !
अब दोस्तों उचित या अनुचित मार्ग चुनेगी तो ये निर्णय भी तो आप पर निर्भर करता है की
बस समझना है तो इक सोच को की इक तितली की भाँति या इक मख्खी की भाँति बनेगी !!निर्णय आप पर होगा !!
जय राधे कृष्ण --
No comments:
Post a Comment