Thursday, August 9, 2018

भगवान शिव के द्वारपाल :-




भगवान शिव के द्वारपाल :-
 
कैलाश पर्वत के क्षेत्र में कोई भी देवी या देवता, दैत्य या दानव शिव के द्वारपाल की आज्ञा के बगैर अंदर नहीं जा सकता था।

ये द्वारपाल संपूर्ण दिशाओं में
      तैनात है।

इन द्वारपालों के नाम हैं-
नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।

उल्लेखनीय है कि शिव के गण और द्वारपाल नंदी ने ही कामशास्त्र की रचना की थी।
कामशास्त्र के आधार पर ही कामसूत्र लिखा गया था।

 भगवान शिव पंचायत को जानिए…
     
पंचायत का फैसला अंतिम माना जाता है। देवताओं और दैत्यों के झगड़े आदि के बीच जब कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता था तो शिव की पंचायत का फैसला अंतिम होता था। शिव की पंचायत में 5 देवता शामिल है।

ये 5 देवता है:-

1. सूर्य, 2. गणपति, 3. देवी, 4. रुद्र और 5. विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।

 भगवान शिव के पार्षद-
   
 जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं ‍उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि ‍शिव के पार्षद हैं। यहां देखा गया है कि नंदी और भृंगी गण भी है, द्वारपाल भी है और पार्षद भी।

 भगवान शिव के प्रतीक चिह्न-
     
वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्ध चंद्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं। हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।

भगवान शिव की जटाएं हैं। उन जटाओं में एक चंद्र चिह्न होता है। उनके मस्तष्क पर तीसरी आंख है। वे गले में सर्प और रुद्राक्ष की माला लपेटे रहते हैं। उनके एक हाथ में डमरू तो दूसरे में त्रिशूल है।वे संपूर्ण देह पर भस्म लगाए रहते हैं।

        ।। जय कैलाशपति ।।
             

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