Monday, August 6, 2018

धरती पर भगवान


धरती पर भगवान


क्या वाकई धरती पर भगवान राम ने जन्म लिया था? क्या वाकई कुरुक्षेत्र के मैदान पर महाभारत के युद्ध की घटना घटित हुई थी? क्या वाकई श्रीलंका कभी सोने की नगरी हुआ करती थी और वहां असुर सम्राट रावण शासन करता था?

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सवाल


ऐसे कई सवाल अकसर हमारे मस्तिष्क में उठते रहते हैं।

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नहीं है मिथ्या


वैसे कई बार वैज्ञानिक अध्ययनों और पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह बात स्थापित करने की कोशिश की जा चुकी है कि राम के इस धरती पर जन्म लेने की कहानी मिथ्या नहीं है।

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राम का जन्म


राम के जन्म से जुड़ी कथा और उनके द्वारा हुए रावण के वध से संबंधित कई साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, जिसके बाद कहीं ना कहीं इस बात पर मुहर लगी कि विज्ञान ने भी स्वीकार लिया है कि धरती पर भगवान राम ने जन्म लिया था।

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वैज्ञानिक पड़ताल


उनके जन्म की बात तो स्वीकार कर ली गई लेकिन अभी तक वैज्ञानिक इस बात की पड़ताल नहीं कर पाए कि उनका जन्म कब हुआ था। इसके अलावा महाभारत की घटना का काल भी अभी तक प्रमाणित नहीं था।

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मिल गया जवाब


लेकिन जो काम बड़े-बड़े वैज्ञानिक और शोधकर्ता नहीं कर पाए, जिस सवाल का जवाब देश-विदेश में हुए कई बड़े स्तर के अध्ययनों के बाद नहीं मिल पाया, उस सवाल का जवाब इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ऑन वेदाज के वैज्ञानिकों ने दे दिया।

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अद्भुत सत्य


हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में स्थित ललित कला अकादमी में एक एग्जीबिशन का आयोजन किया गया, जहां अब तक एक पहेली बनी रही भगवान राम की जन्मतिथि और महाभारत की घटना की तारीख को हल कर दिया गया।

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रामायण की प्रमाणिकता


इस एग्जीबिशन का उद्देश्य ही महाभारत और रामायण से जुड़े उन सवालों और घटनाओं की प्रमाणिकता स्थापित करना था, जिन्हें अब तक लोग मिथ्या मानते आए हैं।

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एग्जीबिशन


यूनीक एग्जीबिशन ऑन कल्चरल कॉन्टिन्यूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबॉटिक्स नाम की इस एग्जीबिशन में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार भगवान राम का जन्म 10 जनवरी, 5114 ईसापूर्व सुबह बारह बजकर पांच मिनट पर हुआ (12:05 ए.एम.) पर हुआ था।

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हनुमान और सीता की भेंट


भगवान राम जब अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी, माता सीता के साथ वनवास पर थे तो उस दौरान असुर सम्राट ने सीताहरण कर लिया। इस घटना के बाद रामभक्त हनुमान रावण की अशोक वाटिका में सीता से मिलने गए। यह कब हुआ इसका जवाब भी अब तक कोई नहीं जानता था लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार पवनपुत्र हनुमान और सीता माता की भेंट का दिन भी पता लगा लिया गया है।

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अशोक वाटिका


रिपोर्ट के अनुसार 12 सितंबर, 5076 ईसापूर्व के दिन पहली बार हनुमान जी और माता सीता की भेंट, रावण की अशोक वाटिका में हुई थी।

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समयकाल


इसके अलावा माहाभारत की घटना का समय काल भी बताया गया जो 13 अक्टूबर 3139 ईसापूर्व है।

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कड़ी मेहनत


रिपोर्ट की मानें तो यह तारीखें संबंधित सवालों का सही जवाब हैं, जिन्हें अमेरिका से खरीदे गए एक सॉफ्टवेयर की सहायता से कड़ी मेहनत के पश्चात खोजा गया।

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सटीक अनुमान


इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर सरोज बाला के अनुसार ऋग्वेद, रामायण और महाभारत से जुड़े दस्तावेजों से प्राप्त ग्रह दशाओं का अध्ययन कर एकदम सटीक तिथि और काल का पता लगाया गया है।

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ग्रह दशाओं का अध्ययन


सॉफ्टवेयर के जरिए ग्रह दशाओं की मैपिंग और आकाशीय स्थिति का आंकलन कर सही समय और तारीख की खोज की गई। इन सबके अलावा शोधकर्ताओं ने भरत और शत्रुघ्न के जन्म, बाली की मृत्यु आदि जैसी घटनाओं का समय भी खोजा।

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