Friday, August 10, 2018

।सूली का सूल


              ।सूली का सूल
   हरिया मोहन को समझा रहा था कि देख भाई,तू हर रोज शाम को मदिरा पीने जाता है बुरे काम करता है।तुझे इसका क्या लाभ?
मोहन ने कहा भाई तू हर रोज अपने गुरू के पास जाता है,सेवा करता है,तुझे क्या लाभ?
दोनो ने फैसला किया कि परिणाम एक माह के बाद पता करेंगे ।   
एक माह बाद ...........हरिया एक पेड के नीचे बैठ रो रहा था हाय हाय कर रहा था।मोहन के चेहरे पर खुशी थी,वह बोला हरिया यह देख आज मुझे क्या मिला? एक संदूक,इस संदूक में कोयले थे जब मैने नीचे देखा तो एक हीरा मिला।
हरिया ने रोते हुए बताया कि मैं सत्संग जा रहा था तभी रास्ते में मेरे पांव में एक बहुत बड़ा सूल (कांटा) चुभ गया ,जो कि मेरे पांव के आर पार हो गया है,दर्द के मारे जान निकल रही है।मोहन ने बहुत कोशिश के बाद वह कांटा निकाल दिया।और हंसते हुए बोला,देख ले भाई मैं बुरे काम करता था,और आज मुझे एक हीरा मिला,तू बड़ा धार्मिक बनता था तुझे तेरे भगवान ने क्या दिया? एक हाथ लंबा सूल,,,,ह हहहहहहहहह मोहन खिल खिला कर हँसने लगा।
हरिया भी सोच में पड गया।दोनो ही हरिया के गुरू के पास गये,और सारा वृतांत सुनाया।
गुरू जी ने अंतर ध्यान होकर देखा।
और बोले कि मोहन पिछले जन्म में बहुत दानी सज्जन था, हर जरूरत मंद कि मदद करता था।इस जन्म में इसको हीरों का संदूक मिला, लेकिन हर रोज गलत काम करने के स्थान इसके हीरे कोयले बन गये।
लेकिन आज यह गलत काम करने नही
 गया।सो इसको यह सिर्फ एक हीरा ही मिला
इस संदूक में इतने हीरे थे कि इसकी 25 पीढ़ियों को कमाने की जरूरत नही पड़ती।
लेकिन हरिया तू पिछले जन्म में जललाद था।चोरों और डाकूओं को फांसी देता था।पर फांसी से पहले उन सभी से माफी भी मांगता था कि मैं अपना काम कर रहा हूँ मुझे माफ करना।तेरी माफी के सदके मालिक ने तुझे गुरू बकशा लेकिन इस जन्म तुझे भी फांसी होनी थी।लेकिन एक गुरू अपने प्यारे को यमराज के हाथ नही सोंपता, सो तेरी सूली के बदले तुझे एक बड़ा सूल चुभाकर उसे माफी में तब्दील कर दिया।                     
    गुरू को किजै दंडवत,
         कोटि कोटि परनाम ।
   
गुर  सेवा ते भगति कमाई।
     तब इह मानस देहि पाई।
इस देही कउ सिमरहि देव।
       सो देही भज हरि का सेव। 
     

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