Thursday, July 26, 2018

क्रोध त्यागना जरुरी है

क्रोध त्यागना जरुरी है!

जापान के ओसाका शहर केनिकट किसी गाँव में एक जेनमास्टर रहते थे। उनकी ख्याति पूरेदेश में फैली हुई थी और दूर-दूर से लोग उनसेमिलने और अपनीसमस्याओं का समाधान कराने आते थे।

एक दिन की बात है मास्टर अपने एकअनुयायी के साथप्रातः काल सैर कर रहे थे कि अचानक ही एक व्यक्ति उनके पास आया औरउन्हें भला-बुराकहने लगा। उसने पहले मास्टर के लिए बहुत से अपशब्द कहेपर बावजूद इसकेमास्टर मुस्कुराते हुएचलते रहे। मास्टर को ऐसा करता देख वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गयाऔर उनके पूर्वजों तक को अपमानित करने लगा। पर इसके बावजूद मास्टरमुस्कुराते हुएआगे बढ़ते रहे। मास्टर पर अपनी बातों का कोई असर ना होते हुए देखअंततः वह वयक्तिनिराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया।
उस वयक्ति के जाते ही अनुयायी नेआस्चर्य से पुछा,“मास्टर आपने भला उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दियाऔर तो और आप मुस्कुराते रहे,क्या आपको उसकी बातों से कोई कष्टनहीं पहुंचा ?”

जेन मास्टर कुछ नहीं बोले और उसेअपने पीछे आने का इशारा किया।
कुछ देर चलने के बाद वे मास्टर केकक्ष तक पहुँच गए।
मास्टर बोले,“तुम यहीं रुको मैं अंदर से अभीआया।“

मास्टर कुछ देर बाद एक मैले कपड़े लेकर बाहर आये औरउसे अनुयायी को थमाते हुए बोले“लो अपने कपड़े उतारकर इन्हे धारण कर लो ?”
कपड़ों से अजीब सीदुर्गन्ध आ रही थी और अनुयायी ने उन्हें हाथ में लेते ही दूर फेंक दिया।

मास्टर बोले“क्या हुआ तुम इन मैले कपड़ों को नहीं ग्रहण करसकते ना ठीक इसी तरह मैं भी उस व्यक्ति द्वारा फेंके हुए अपशब्दों को नहीं ग्रहण कर सकता।

इतना याद रखो कि यदि तुम किसी केबिना मतलब भला-बुरा कहनेपर स्वयं भी क्रोधित हो जाते हो तो इसका अर्थ है कि तुम अपने साफ़-सुथरे वस्त्रों की जगह उसके फेंके फटे-पुराने मैले कपड़ों को धारण कर रहे हो, और ऐसे भी क्रोध करनाछोटेपन की निशानी है और यदि जिंदगी में हमे बड़ा बनना है तो क्रोध त्यागना जरुरी है..
 

No comments:

Post a Comment