चलो री सहेली सब मिल आज बृंदाबन ,
बाढ़त उमंग सुन मोरन के शोरे में !
शीतल समीर मन्द चलत सुगन्ध लिए ,
छोटी छोटी बून्द या झरत चहु ओरे में ।
लाल बलबीर सजों चीर नब रंग अंग ,
केसरी कुसुम रंग धारो कुच कोरे में ।
कीर्ति किशोरी बृषभानु की दुलारी राधे,
आजु बनबारी संग झूलत हिंडोरे में ।
🌹जय जय श्री राधे🌹
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