*सुप्रभात्
*➡यादॄशै: सन्निविशतेयादॄशांश्चोपसेवते ।*
*यादॄगिच्छेच्च भवितुं तादॄग्भवति पूरूष: ॥*
*✅मनुष्य , जिस प्रकार के लोगों के साथ रहता है , जिस प्रकार के लोगों की सेवा करता है , जिनके जैसा बनने की इच्छा करता है , निश्चित रूप से वह वैसा ही बन जाता है ।*
*जय श्री कृष्ण
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