पानी बहुत ही सरल और सहज है, किन्तु उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्यों कि वह जब अपना दृष्टिकोण बदलता है तो, सदियों से अडिग खड़े पहाड़ों को भी, मलवे में बदल देता है ।
जिस प्रकार, सरल इंसान भी, पहाड़ रूपी दुखद दौर को दृढ़ता से ढ़ेर कर देता है ।
मनुष्य हर दौर से ऊपर है,और जब वह पानी जैसा बन जाए तो, दुनियां की कोई भी ताकत व दुख, उसे तोड़ नहीं सकता
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