नित्यनिकुंजलीलाप्रविष्ठ प्रातः स्मरणीय अनंतानंत श्रीविभूषित श्रीमन्निखिलमहीमण्डलाचार्यचक्रचूड़ामणि, सर्वतन्त्र-स्वतन्त्र, स्वाभाविक द्वैताद्वैत प्रवर्तक, यतिपतिदिनेश, राजराजेंद्र समभ्यर्चित-चरणकमल, श्रीसुदर्शन चक्रावतार श्रीभगवन्निम्बार्काचार्य-पीठाधिपति जगद्गुरु निम्बार्काचार्य श्रीराधासर्वेश्वरशरण देवाचार्य श्री “श्रीजी” महाराज
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||
अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||
ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् |
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||
अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् |
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
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